क्या आप भी रिटायरमेंट की टेंशन से परेशान हैं? सोच रहे हैं कि बुढ़ापे में खर्च कैसे चलेगा? तो टेंशन छोड़िए! आपके लिए एक ऐसी सरकारी स्कीम है जो आपको रिटायरमेंट के बाद मालामाल कर सकती है. जी हां, हम बात कर रहे हैं नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) की!
NPS क्या है और क्यों है ये सबसे बेस्ट? आइए जानते हैं A से Z तक पूरी जानकारी, एकदम आसान भाषा में!
कौन खोल सकता है NPS अकाउंट?
खुशखबरी! अगर आप भारतीय नागरिक हैं, चाहे आप इंडिया में रहें या विदेश में, और आपकी उम्र 18 से 70 साल के बीच है, तो आप NPS में खाता खुलवा सकते हैं. है न कमाल की बात?
NPS में कितना पैसा जमा करना होगा?
- टियर-I अकाउंट: इसमें आपको हर साल कम से कम 1,000 रुपये तो डालने ही होंगे. ये तो बहुत ही कम है, है ना?
- टियर-II अकाउंट: इसमें आपकी मर्जी. कोई फिक्स अमाउंट नहीं है. जब मन करे, जितना मन करे, डालो!
और सबसे अच्छी बात पता है क्या है? NPS में ज्यादा से ज्यादा पैसा जमा करने की कोई लिमिट नहीं है! जितना ज़्यादा, उतना फायदा! लेकिन हां, टैक्स में छूट एक लिमिट तक ही मिलेगी, वो हम आगे बताएंगे.
पैसे निकालने के नियम क्या हैं?
अब बात करते हैं कि जब ज़रूरत पड़े तो पैसा कैसे निकलेगा?
- 60 साल की उम्र में: जब आप 60 साल के हो जाएंगे, तो आप टोटल जमा किए हुए पैसे का 60% एक साथ निकाल सकते हैं. और पता है? ये पैसा टैक्स फ्री होगा! बाकी 40% जो बचेगा, उससे आपको पेंशन खरीदनी होगी, ताकि हर महीने इनकम आती रहे.
- अगर खुदा न खास्ता कुछ बुरा हो जाए: अगर अकाउंट होल्डर की मृत्यु हो जाती है, तो पूरा पैसा नॉमिनी को मिल जाएगा.
टैक्स में कितनी छूट मिलेगी?
अब सबसे ज़रूरी बात – टैक्स बेनिफिट! NPS में आपको टैक्स बचाने के भी खूब फायदे मिलते हैं:
- धारा 80CCD(1): अगर आप प्राइवेट नौकरी करते हैं, तो अपनी सैलरी का 10% तक और अगर सरकारी नौकरी करते हैं, तो बेसिक सैलरी और DA का 14% तक, 1.5 लाख रुपये तक की छूट पा सकते हैं.
- धारा 80CCD(1B): ये तो और भी कमाल का है! NPS में 50,000 रुपये तक का एक्स्ट्रा इन्वेस्टमेंट, वो भी अलग से टैक्स फ्री! यानी डबल धमाका!
- धारा 80CCD(2): अगर आपकी कंपनी भी NPS में कुछ पैसा डालती है, तो उस पर भी आपको टैक्स छूट मिलेगी.
कौन चलाता है ये NPS का सिस्टम?
NPS कोई प्राइवेट स्कीम नहीं है, ये सरकार की स्कीम है और इसको चलाने के लिए कुछ बड़ी संस्थाएं हैं:
- पीएफआरडीए (PFRDA): ये NPS के बॉस हैं. यानी, यही स्कीम को कंट्रोल करते हैं और नियम बनाते हैं.
- सेंट्रल रिकॉर्डकीपिंग एजेंसी (CRA): ये अकाउंट मैनेजर हैं. आपका NPS अकाउंट, आपका हिसाब-किताब, सब यही देखते हैं.
- पॉइंट ऑफ प्रेजेंस (PoP): ये NPS के ऑफिस हैं. यहीं से आपका खाता खुलेगा और आपको सारी सर्विस मिलेंगी.
- एन्यूटी सर्विस प्रोवाइडर्स (ASP): ये वो पेंशन कंपनियां हैं जिनसे आप 40% पैसे से पेंशन खरीदते हैं. हर महीने पेंशन यही देंगे.
NPS ही क्यों चुनें?
अब सवाल ये है कि मार्केट में तो और भी स्कीमें हैं, फिर NPS ही क्यों? तो सुनिए:
- सबसे कम खर्चा: NPS में बाकी स्कीमों के मुकाबले खर्चा बहुत कम है. यानी आपके पैसे ज़्यादा बढ़ेंगे.
- रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए बेस्ट: ये स्कीम बनी ही है लंबे समय के लिए, खासकर रिटायरमेंट के लिए. बुढ़ापे में टेंशन फ्री रहना है तो ये बेस्ट है.
- सरकारी गारंटी: NPS सरकार की स्कीम है, तो टेंशन फ्री रहिए, पैसा डूबेगा नहीं. सुरक्षित है एकदम.
- ज़्यादा रिटर्न की उम्मीद: NPS में आपको अच्छा रिटर्न मिलने की पूरी उम्मीद है. क्योंकि आपका पैसा अलग-अलग जगह इन्वेस्ट होता है.
- टैक्स में बचत: और तो और, इनकम टैक्स भी बचेगा! यानी हर तरफ से फायदा ही फायदा.